बाबा रामदेव कह रहे अश्वगंधा, गिलोय से बनी उनकी कोरोना की दवा कोरोनिल इम्मयूनिटी बूस्टर है। इम्युनिटी बूस्टर पदार्थ हर संक्रमण रोग से लड़ने में शरीर की ताकत बढ़ाते हैं। ये कोई दवा नहीं हैं। WHO ने शुरुआत में ही चेतावनी दी थी की किसी भी इम्मयूनिटी बढ़ाने वाले पदार्थ को COVID-19 की दवा ना बताया जाये। मार्किट में अन्य इम्मयूनिटी बूस्टर्स भी हैं लेकिन उन्होंने पतंजलि की तरह खुद को कोरोना की 100% गारंटीड दवा नहीं बताया है। एक और महत्वपूर्ण बात, पतंजलि की कोरोना किट में जो 3 आईटम कोरोनिल, स्वसारी, अनुतेल हैं उनमें से दो आईटम बाबा पहले से बेच रहे हैं जिसे कोरोनिल के साथ चिपका के कोरोना की दवा बता दिया …
भारत में कोरोना मरीजों की मृत्य दर 3 से 5 % है और सिर्फ भयंकर लक्षण वाले कोरोना संक्रमित मरीज ही मरते हैं। माइल्ड और कम लक्षण वाले मरीज होम आइसोलेशन या नार्मल काढ़ा-मलेरिया की दवा वगैरह से भी ठीक हो जाते हैं। ऐसे में बाबा जिन मरीजों को दवा देकर 69% के 3 दिन में और बाकी 7 दिन में ठीक होने की बात कर रहे हैं उनमें से एक भी भयंकर लक्षण वाला नहीं था। तो क्या बाबा स्वतः ठीक होने वाले कम लक्षण के मरीजों को अपनी दवा देकर इसे कोरोना का इलाज बताने की ठगी कर रहे हैं ?
1 अप्रैल को आयुष मंत्रालय ने सभी मिडिया हाउसेस और समाचार तन्त्र को निर्देश दिया की कोरोना के इलाज के लिए भ्रामक जानकारी ना फैलाएं। उसके बाद ४ अप्रैल को भारतीय प्रेस परिषद् ने निर्देश दिया कि कोरोना के इलाज के लिए आयुर्वेद ,यूनानी, नेचुरोपैथी होम्योपैथिक और सिद्ध -झाड़ फूंक टाइप दवाओं के विज्ञापन को ना दिखाए। क्योंकि इनके लिए सरकारी संस्थाए हैं जो पहले दवा की सत्यता को परखेंगी फिर निर्णय करेंगी। लेकिन हर चैनल, अख़बार ने बाबा की कोरोना दवा का प्रचार कर दिया है .. अब आयुष मंत्रालय ने बैन तो लगा दिया लेकिन आखिर कितने लोगों को ये तथ्य पता चलेंगे.. जब तक चलेंगे तब तक कोरोना से डरी जनता से बाबा करोड़ों बना लेंगे .. यही प्लान था …?
रामदेव विशुद्ध व्यापारी हैं , जब GST कम हुआ था तो पतंजलि पर ग्राहकों से धोखाधड़ी करके ज्यादा पैसे वसूलने में 75 करोड़ का जुरमाना भी लग चुका है।