सरकारी स्कूलों की बदहाली और नियोजित शिक्षकों के बकाए एरियर भुगतान पर हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान , एक सप्ताह में सभी DEO को कोर्ट में रिपोर्ट SUBMIT करने का मिला है आदेश

बिहार पटना :–बिहार में सरकारी स्कूलों की व्यवस्था में गड़बड़ी से खफा पटना हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाया है। हाईकोर्ट ने राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी को 1 सप्ताह के भीतर सरकारी स्कूलों की बदहाली को लेकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

बिहार में लगभग 3 लाख नियोजित शिक्षकों के DPE प्रशिक्षित वाला एरियर की लगभग 1 लाख रुपये प्रति शिक्षकों की दर से बाकी हैं जिनका भुगतान शिक्षा विभाग के लापरवाही से पिछले 4 सालों से अधर में लटका है । कोर्ट ने सभी DEO को स्कूली व्यवस्था के साथ ही साथ नियोजित शिक्षकों के एरियर भुगतान नही होने के सम्बंध में भी रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया है । सभी DEO को एक सप्ताह का समय दिया गया है ।

दरअसल, पटना हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिए बने शौचालयों की दयनीय स्थिति को देखते हुए आदेश दिया है कि सभी जिला के शिक्षा पदाधिकारी यह रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें कि, स्कूलों में बदहाली की स्थिति क्यों है। कोर्ट ने अपने आदेश की जानकारी अपर मुख्य सचिव सहित सभी जिला जिलों के डीएम और डीईओ को तुरंत देने की जिम्मेदारी अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार के सहायक अधिवक्ता आलोक राही को दी है। कोर्ट ने शौचालय सहित सेनेटरी नैपकिन के बारे में पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है।

मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने संज्ञान लेते हुए लोकहित याचिका पर सुनवाई की। अधिवक्ता शंभू शरण सिंह ने कोर्ट को बताया कि पटना जिले के डीईओ की ओर से एक हलफनामा दायर किया गया है। इस हालत इस हलफनामे में शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूलों के शौचालय का पूरा ब्यौरा दिया गया है।

इसमें यह लिखा गया है कि 9वीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाली 2000 से ज्यादा छात्रों के लिए सिर्फ दो शौचालय है। इस दायर हलफनामे में सेनेटरी नैपकिन के बारे में एक शब्द भी नहीं लिखा गया है। जिसके बाद अब कोर्ट ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी को 1 सप्ताह के भीतर स्कूलों की बदहाली पर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

अधिवक्ता ने कहा कि पटना डीईओ के तरफ से डायल हलफनामा में शहर के 20 स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक पढ़ने वाले कुल 12,491 छात्राओं के लिए मात्र 128 शौचालय ही सही सलामत होने की बात कही गई है। ऐसे में अधिवक्ता ने कहा जब शहरी क्षेत्रों के सरकारी गर्ल्स स्कूल की दशा ऐसी है तो ग्रामीण क्षेत्रों के बारे में सूचना ही बेकार है। जिसके बाद अब कोर्ट ने यह निर्णय लिया है।

कोर्ट ने अपने दो पुराने आदेश का हवाला देते हुए राज्य के सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी को 1 सप्ताह के भीतर सभी सरकारी गर्ल्स स्कूल के शौचालय और सेनेटरी नैपकिन मुहैया कराने को लेकर उसके निष्पादन के बारे में जानकारी देने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 7 फरवरी तय की गई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here