Third World War

पूरी दुनिया पर मंडरा रहा हैं परमाणु युध्ध का खतरा , कभी भी शरू हो सकता हैं तीसरा युध्ध Third World War , विश्व की दो महाशक्तियां हैं आमने -सामने 

नई दिल्ली से संवाददाता रुहुल अमिन की रिपोर्ट 

नई दिल्ली :-पूरी दुनिया पर मंडरा रहा हैं परमाणु युध्ध का खतरा , कभी भी शरू हो सकता हैं तीसरा युध्ध Third World War , विश्व की दो महाशक्तियां हैं आमने -सामने | दुनिया की महाशक्तियां जिस तरह की तैयारियां कर रही हैं उसके बाद महायुद्ध होने की आशंका बढ़ती जा रही है. ये ऐसा युद्ध होगा जो धरती का विनाश कर सकता है. ये जंग में मानवता के लिए सबसे बड़ा श्राप साबित हो सकती है, इसमें कितने लोगों की जान जाएगी ये अंदाजा लगाना भी मुश्किल है.

इस वक्त महायुद्ध के खतरे से जुड़ी सबसे बड़ी खबर अमेरिका (USA) से आ रही है क्योंकि अमेरिका एशिया में अपनी मीडियम रेंज की मिसाइलें तैनात करने के बारे में सोच रहा है. चीन (China) के परमाणु हथियारों को अमेरिका दुनिया के लिए बड़ा खतरा मान रहा है और इससे निपटने के लिए क्या रणनीति बनानी चाहिए इस पर विचार कर रहा है.

Third World War ये जानकारी वॉशिंगटन के टॉप आर्म्स कंट्रोल समझौताकार मार्शल बिलिंगस्ली ने दी है. अमेरिका के इस प्लान के बाद पूरी दुनिया में बहस छिड़ गई है कि क्या महाशक्तियों के बीच होने वाले युद्ध में परमाणु बमों का इस्तेमाल होगा.

इस बीच चीन अमेरिका का मुकाबला करने के लिए परमाणु बमों का जखीरा इकट्ठा करने की बात कह रहा है तो अमेरिका ऐसा हथियार बना रहा है जिसके बारे में आज तक किसी ने सुना ही नहीं है और ना ही देखा है.

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हम इस समय अभूतपूर्व सैन्य उपकरण बनाने का काम कर रहे हैं जो आज से पहले कभी नहीं देखे गए. हमारे पास जो मिसाइल है मैं उसे सुपर डुपर मिसाइल कहूंगा और मैंने सुना है कि उनके पास इस समय जो मिसाइल है उससे 17 गुना बेहतर मिसाइल हमारे पास है.

-इस ऐलान के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप ने साफ-साफ इशारा कर दिया कि वो चीन को बख्शने वाले नहीं हैं. चीन को जिस ताकत पर बहुत नाज है उसे कुचलने का इरादा अमेरिका ने कर लिया है.

बता दें कि अमेरिका ऐसी हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर रहा है जिसकी रफ्तार का मुकाबला करने की बात तो दूर उसके आसपास भी कोई ठहर नहीं सकता है. ये हाइपरसोनिक मिसाइल क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल दोनों के फीचर्स से लैस है. लॉन्चिंग के बाद ये मिसाइल पृथ्वी की कक्षा से बाहर चली जाती है और फिर टारगेट को अपना निशाना बनाती है. तेज रफ्तार की वजह से रडार भी इसे पकड़ नहीं पाता है

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