fake marksheet 

बीएड की फर्जी मार्क्सशीट fake marksheet  के आधार पर एक शिक्षक 27 वर्षों से नौकरी कर रहा हैं , 27 वर्षों के बाद फर्जी शिक्षक पकडाया , इस 27 वर्षों मे इस शिक्षक ने सरकार को लाखों रुपये का चुना लगाया , शिक्षा विभाग न फर्जी शिक्षक के विरुद्घ प्राथमिकी दर्ज कराई 

 

उत्तर प्रदेश :–बीएड की फर्जी मार्क्सशीट fake marksheet  के आधार पर एक व्यक्ति इंटर कॉलेज में 27 सालों से नौकरी कर रहा है। वर्ष 1998 में हुए सत्यापन में भी इसकी मार्क्सशीट फर्जी fake marksheet  होने की पुष्टि हुई थी। बावजूद इसके प्रबंधक/प्रधानाचार्य की मिलीभगत से वह न सिर्फ नौकरी में बना रहा बल्कि वेतन भी लेता रहा। शासन के निर्देश पर अभिलेखों के सत्यापन प्रक्रिया में जब मामले का खुलासा हुआ तो डीआईओएस ने उसका वेतन रोककर प्रबंधक/प्रधानाचार्य को नोटिस जारी किया है।

fake marksheet 
प्रतापपुर कमैचा विकास खंड स्थित इंटरमीडिएट कॉलेज में एक व्यक्ति की 1993 में सहायक अध्यापक के पद पर तदर्थ शिक्षक के रूप में नियुक्ति हुई थी। उस समय उसने वर्ष 1993 का शिक्षा शास्त्री/बीएड का संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी का अंकपत्र लगाया था

  जब शासन ने सभी शिक्षकों का शैक्षिक अभिलेख सत्यापन कराने का निर्देश दिया तो सत्यापन के समय उसने आदर्श भारतीय माध्यमिक विद्यालय खेतासराय जौनपुर का शिक्षा शास्त्री/बीएड का अंकपत्र प्रस्तुत कर दिया।

संदेह होने पर नियुक्ति के समय की पत्रावली मंगाई गई। इसमें दोनों अंकपत्रों में भिन्नता मिली। वर्ष 1998 में हुए सत्यापन रिपोर्ट में नियुक्ति के समय लगाई गई मार्क्सशीट को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी ने फर्जी करार दिया था। विश्वविद्यालय के कुल सचिव ने उक्त अनुक्रमांक पर कोई भी अंकपत्र निर्गत नहीं होने की बात कही थी। जिला विद्यालय निरीक्षक श्याम किशोर तिवारी ने कॉलेज के प्रबंधक/प्रधानाचार्य को नोटिस देकर जवाब मांगा है।

fake marksheet संतोषजनक जवाब न मिला तो दर्ज होगा मुकदमा डीआईओएस एसके तिवारी का कहना है कि नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार शिक्षक के विरुद्घ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। साथ ही अब तक लिए गये वेतन की वसूली भी कराई जाएगी। प्रबंधक व प्रधानाचार्य ने मामले को जान-बूझकर दबाया होगा तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी

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