बकरीद Bakrid को लेकर सरकार की गाइडलाइन जारी , भीड़ इकठ्ठा होने पर रोक , बकरों की कुर्बानो पर भी सख्ती , अररिया जिला के एतिहासिक रजोखर ईदगाह मैदान कमिटी के सेक्रेट्री डॉ इफ़्तेख़ार आलम  व मदरसा तन्जिमुल मुस्लेमीन रजोखर इफ्गाह के नाजिम मुफ़्ती इनामुल बारी कासमी ने लोगो से अपने घरो में ही बकरीद की नमाज पढने की , की अपील

#-ईदगाह कमिटी रजोखर ईदगाह के सेक्रेटरी डॉ इफ़्तेख़ार आलम ने अनौंस्मेंट किया की पुरे प्रदेश में बेकाबू हो चुके कोरोना वायरस महामारी के कारण ईदगाह  मैदान में बकरीद यानि ईद -उल -अजहा की नमाज अदा नही की जाएगी 

#-1 अगस्त 2020 यानि शनिवार को पुरे देश में मनाया जाएगा बकरीद यानि ईद -उल अजहा का त्यौहार 

#-अररिया जिला के एतिहासिक रजोखर ईदगाह मैदान कमिटी के सेक्रेट्री डॉ इफ़्तेख़ार आलम  व मदरसा तन्जिमुल मुस्लेमीन रजोखर इफ्गाह के नाजिम मुफ़्ती इनामुल बारी कासमी ने लोगो से अपने घरो में ही बकरीद की नमाज पढने की , की अपील 

 

गाइडलाइन में कहा गया है कि पुलिस लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए जागरूक करे. सोशल मीडिया पर भी नजर बनाए रखें. भ्रामक सूचना प्रसारित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. थानाध्यक्ष और क्षेत्राधिकारी छोटी से छोटी घटना को गंभीरता से लें.

ईद उल अजहा Bakrid मुसलमानों के प्रमुख त्योहारों मे से एक है. इस साल कोरोना संकट और सावन के महीने को देखते  सरकार ने बकरीद और जानवरों की कुर्बानी के लिए गाइडलाइन जारी की है. सरकार ने कोरोना के संक्रमण के डर से सभी धार्मिक स्थलों के लिए भी दिशा निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों के मुताबिक, किसी भी धार्मिक स्थल में सामूहिक रूप से भीड़ इकट्ठा न की जाए.Bakrid

बकरा ईद (Bakra Eid), बकरीद (Bakreed), ईद-उल-अजहा (Eid Al Adha) या फिर ईद-उल जुहा (Eid Ul Adha) इस साल देशभर में 1 अगस्त को मनाई जाएगी, इस्लामिंक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार 12वें महीने की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है हालांकि, साउदी अरब में 31 जुलाई को ही बकरीद मनाई जाएगी.

  बकरीद, रमजान (Ramadan) के पवित्र महीने के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद मनाई जाती है. बता दें, बकरीद पर कुर्बानी दी जाती है और मीठी ईद के बाद यह इस्लाम धर्म का प्रमुख त्योहार होता है।

Bakrid

बकरीद, ईद-उल-अजहा का महत्व

बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बानी का दिन होता है इस्लाम में मुस्लिमों और गरीबों का खास ध्यान रखने की परंपरा है. इस वजह से बकरीद पर गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है, इस दिन कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं इन तीन हिस्सों में खुद के लिए एक हिस्सा रखा जाता है और बाकी के दो हिस्से गरीब और जरूरतमंदों को बांट दिए जाते हैं इसके जरिए मुस्लिम लोग पैगाम देते हैं कि वो अपने दिल की करीब चीज भी दूसरों की बेहतरी के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं।

क्यों मनाते हैं बकरीद

इस्लाम में बकरीद का विशेष महत्व है, इस्लामिक मान्यता के मुताबिक हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान किया था. तब खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवन दान दिया था. इस पर्व को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है. इसके बाद अल्लाह के हुक्म के साथ इंसानों की जगह जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू किया गया।

क्यों देते हैं कुर्बानी?

दरअसल, हजरत इब्राहिम ने जब कुर्बानी दी थी तो उन्हें लगा कि उनकी भावनाएं बीच में आ सकती हैं और इस वजह से उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर कुर्बानी दी थी. इसके बाद जब उन्होंने अपनी आंखों से पट्टी हटाई तो उनका पुत्र उनके सामने जीवित खड़ा था. बेदी पर कटा हुआ दुम्बा (सउदी में पाया जाने वाला भेड़ जैसा जानवर) पड़ा था. इसी वजह से बकरीद पर कुर्बानी देने की प्रथा की शुरुआत हुई।

  इसके अलावा बिहार  के डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय द्वारा जारी किए पत्र में सांप्रदायिक भावनाओं का भी ध्यान रखने के लिए बोला गया है. पत्र में यूपी के सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों से कहा गया है कि कुर्बानी के दौरान गोवंश की हत्या से कई बार पहले भी सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हुआ है. इसलिए इस बात का खास ध्यान रखा जाना चाहिए.

गाइडलाइन में कहा गया, ‘पुलिस लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए जागरूक करे. सोशल मीडिया पर भी नजर बनाए रखें. भ्रामक सूचना प्रसारित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. थानाध्यक्ष और क्षेत्राधिकारी छोटी से छोटी घटना को गंभीरता से लें.’

सबसे खास बात है कि इस बार ड्रोन के इस्तेमाल के लिए भी कहा गया है. पत्र में लिखा है कि मिश्रित और संवेदनशील इलाके की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे का इस्तेमाल किया जाए. गोवध और गोवंश के अवैध परिवहन पर पूर्ण प्रभावी नियंत्रण करने के लिए आवश्यक उपाय किए जाएं. खुले स्थानों में कुर्बानी/गैर मुस्लिम इलाकों से खुले रूप से मांस ले जाने पर प्रतिबंध लगाया जाए.

पत्र में पुलिस अधिकारियों को कहा गया कि प्रतिबंधित पशुओं की कुर्बानी की अफवाहों से इलाके में तनाव उत्पन्न हो सकता है. इसलिए इस बात का खास ध्यान रखें. बकरीद का त्योहार 1 अगस्त को मनाया जाएगा और ये तीन दिन तक मनाया जाता है. ऐसे में यूपी के डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को सतर्क रहने के लिए कहा है.

ईद मुसलमानों का एक प्रमुख त्योहार है इसे ईद-उल-जुहा के नाम से भी जाना जाता है। बकरीद के दिन हर मुसलमान एक बकरे की बलि जरूर देता है बकरे के अलावा भेड़ व ऊंट की बलि भी दी जाती है। ईद रमजान महीने की समाप्ति के 70 दिन बाद बनाई जाती है।

ईद के दिन बली देने की मान्यता एक घटना के बाद से शुरू हुई कुरान के अनुसार अल्लाह ताला ने हजरत इब्राहीम से सपने में उनकी अजीज चीज़ मांगी और हजरत इब्राहीम को अपने बेटे से ज्यादा अजीज चीज़ कोई नही थी तो वह अपने बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए।

  जब हजरत इब्राहीम ने तलवार से अपने बेटे की गर्दन पर वार किया तब अल्लाह ने हजरत इब्राहीम को बचाकर एक बकरे की कुर्बानी दिला दी तब से ही ईद पर बकरे या भेड़ की कुर्बानी दी जाने लगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here